धामनोद में मुनियों का भव्य स्वागत, गूंजे ‘जय जिनेन्द्र’ के जयकारे

धामनोद – जैन कनेक्ट संवाददाता | धामनोद नगर मंगलवार की सुबह आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत हो उठा, जब गुलझरा से पधारे चार जैन मुनियों का नगर में मंगल प्रवेश हुआ। मुनिश्री सारस्वत सागरजी महाराज, जयवंत सागरजी महाराज, सिद्ध सागरजी महाराज और क्षुल्लक श्री श्रुतसागरजी महाराज के आगमन पर जैन समाज में उमंग और श्रद्धा की लहर दौड़ गई। पूरे नगर में ढोल-नगाड़ों की गूंज और “जय जिनेन्द्र” के नारों से वातावरण धर्ममय बन गया।

🙏 मंगल प्रवेश से नगर हुआ धर्ममय गुलझरा से नगर में प्रवेश करते ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी, लोगों ने मुनियों का जयकारों से स्वागत किया।

🥁 ढोल-नगाड़ों के साथ हुआ स्वागत जैन समाज के सदस्यों ने पारंपरिक वाद्ययंत्रों के साथ शोभायात्रा निकाली, जिससे नगर में उत्सव जैसा माहौल बन गया।

🏡 श्रद्धालुओं ने घर-घर किया पाद प्रक्षालन मुनियों की यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं ने अपने घरों के बाहर पवित्र जल से पाद प्रक्षालन कर आरती उतारी।

🛕 जैन मंदिर में हुआ अभिषेक और शांतिधारा मंदिर पहुंचते ही मुनियों के अभिषेक और शांतिधारा की गई, जिससे भक्तों की भक्ति भावनाएं चरम पर पहुंच गईं।

🍂 मंगल प्रवचन में मिली आध्यात्मिक प्रेरणा मुनिश्री सारस्वत सागरजी महाराज ने प्रवचन में शुद्ध जीवन, सत्य और अहिंसा के महत्व को रेखांकित किया।

🕊️ महावीर स्वामी के सिद्धांतों का पालन करें : मुनिश्री प्रवचन में अहिंसा, सत्य, ब्रह्मचर्य, अचौर्य और अपरिग्रह के सिद्धांतों को जीवन में उतारने का आह्वान किया गया।

🌸 समिति और महिला मंडल ने अर्पित किए श्रीफल पूर्व समिति, मुनिसेवा समिति और महिला मंडल की ओर से मुनियों को श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया गया।

📿 चातुर्मास हेतु इंद्राणी नगर प्रस्थान की तैयारी मुनि संघ महाराष्ट्र के इंद्राणी नगर में चातुर्मास हेतु जा रहा है, इस अवसर पर उन्हें मोती की माला पहनाकर सम्मानित किया गया।

🤝 समाज ने निवेदन किया – कृपया कुछ दिन और रुकें जैन समाज के अध्यक्ष महेश जैन सहित अन्य श्रद्धालुओं ने मुनियों से नगर में कुछ दिन रुकने का निवेदन किया।

🎙️ दीपक प्रधान ने किया कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम को व्यवस्थित रूप से संचालित करते हुए दीपक प्रधान ने समस्त श्रद्धालुओं का मार्गदर्शन किया।

इस पावन अवसर पर धामनोद नगर में धार्मिक ऊर्जा और अनुशासित श्रद्धा का अद्भुत संगम देखने को मिला। मुनि संघ की प्रेरक उपस्थिति ने जैन समाज को आध्यात्मिक रूप से समृद्ध किया और महावीर स्वामी के सिद्धांतों को आत्मसात करने की प्रेरणा दी।

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