
राजकोट–जैन कनेक्ट संवाददाता | राजकोट के करणपरा क्षेत्र की 20 वर्षीय युवती हेत्वीबेन विमलभाई परमार ने संसारिक मोह-माया को त्यागकर संयम के मार्ग पर चलने का निश्चय किया है। पान-सोपारी व्यवसायी परिवार से ताल्लुक रखने वाली हेत्वीबेन 8 मई को भव्य दीक्षा विधि के साथ जैन भागवती दीक्षा ग्रहण करेंगी। इस अवसर पर 4 से 8 मई तक विविध धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन रखे गए हैं।
🌸 वैराग्य की ओर युवावस्था में कदम केवल 20 वर्ष की उम्र में हेत्वीबेन ने दुनिया की मोह-माया छोड़कर संयम और साधना का पथ चुना है।
🚩 वरघोड़े की भव्य शुरुआत दीक्षा से पूर्व हेत्वीबेन का वरघोड़ा आशापुरा मंदिर से निकाला गया, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
🏯 तीर्थ यात्रा और साधना में अग्रणी गिरनार, शंखेश्वर, तारंगा, समेतशिखरजी सहित 111 तीर्थों की यात्रा और विशेष साधनाओं में भाग लेकर आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर हुईं।
📚 शास्त्र अध्ययन में निपुणता हेत्वीबेन ने ज्ञानप्रकरण, भाष्य, छह कर्मग्रंथ, वैराग्य शतक और इन्द्रिय पराजय शतक जैसे अनेक शास्त्रों का अध्ययन किया है।
⛩️ गुरुभक्ति और उपधान तप उन्होंने 64 प्रहर की पौषध, उपधान तप और 1600 किमी की धार्मिक यात्रा कर संयम जीवन की तैयारी की।
🛕 वर्धमान तप की सात ओळी पूर्ण वर्धमान तप की सात ओळी का संकल्प पूर्ण कर उन्होंने आत्मसाधना का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत किया।
👑 7 मई को निकलेगा राजसी वरघोड़ा दीक्षा से एक दिन पूर्व 7 मई को शहर के प्रमुख मार्गों पर भव्य राजशाही वरघोड़ा निकलेगा, जिसमें पारंपरिक शान दिखेगी।
🗓️ 8 मई को भव्य दीक्षा समारोह भवनिस्तारीणी दीक्षा का मंगल प्रारंभ 8 मई को होगा, जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेंगे।
🎤 प्रवचन और भक्ति आयोजनों की श्रृंखला इस अवसर पर गुरुभगवंतों के प्रवचन, छाब उत्सव और अन्य भक्ति कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे।
🌟 समाज में प्रेरणा की मिसाल हेत्वीबेन का यह निर्णय आज की युवा पीढ़ी के लिए आत्मचिंतन और संयम की प्रेरणा बनकर सामने आया है।
हेत्वीबेन विमलभाई परमार की यह दीक्षा यात्रा केवल व्यक्तिगत मोक्ष की ओर नहीं, बल्कि समाज को संयम और साधना की राह दिखाने वाली एक अद्वितीय मिसाल है। राजकोट शहर में उत्साह, श्रद्धा और भक्ति का माहौल इस अवसर पर अपने चरम पर पहुंच गया है।
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