बाड़मेर में दो जैन बेटियों ने त्यागा संसार, अपनाया संयम जीवन

बाड़मेर–जैन कनेक्ट संवाददाता | राजस्थान के बाड़मेर जिले के चोहटन कस्बे में सोमवार को आयोजित भव्य दीक्षा महोत्सव में जैन समाज की दो बेटियों—मुस्कान धारीवाल और वर्षा सेठिया—ने सांसारिक मोह-माया का त्याग करते हुए संयम और साधना के पथ पर कदम रखा। खरतरगच्छाधिपति आचार्य जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी एवं साध्वी डॉ. विद्युत्प्रभाश्रीजी सहित अन्य साधु-साध्वियों की निश्रा में संपन्न हुए इस आयोजन ने श्रद्धालुओं को आत्मिक भावनाओं से अभिभूत कर दिया।

🌿 संयम जीवन की ओर पहला कदम मुस्कान और वर्षा ने संसारिक जीवन की अंतिम वस्तुओं का त्याग कर दोनों हाथों से दान देकर संयम मार्ग पर कदम बढ़ाया।

📿 आभूषणों और रंगीन वस्त्रों का त्याग दीक्षा के दौरान मुमुक्षुओं ने आभूषण और भौतिक वस्त्र त्याग दिए, और संयम जीवन के अनुरूप नए वस्त्र धारण किए।

🕉️ रजोहरण प्राप्त कर झूम उठीं मुमुक्षु जैसे ही आचार्य ने रजोहरण प्रदान किया, दोनों मुमुक्षुओं के चेहरे पर आनंद की झलक देखने को मिली।

✂️ केशलोंचन के साथ नई पहचान केशलोंचन की प्रक्रिया के बाद मुस्कान को ‘साध्वी श्री चैत्यप्रज्ञा श्रीजी’ और वर्षा को ‘साध्वी श्री वात्सल्यनिधि श्रीजी’ नाम दिया गया।

🛕 दीक्षा महोत्सव में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ चोहटन के दीक्षा पांडाल में बड़ी संख्या में श्रद्धालु, महिला मंडल और नवयुवक मंडल शामिल हुआ।

🧘 आचार्य का प्रेरणास्पद संदेश आचार्य जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी ने दीक्षा से पूर्व बताया कि संयम जीवन कोई एक दिन की बात नहीं, बल्कि आजीवन साधना है।

🙏 सांसारिक जीवन से पूर्ण विरक्ति दोनों दीक्षार्थियों ने भावुक होकर कहा कि उन्हें अब आत्मकल्याण का मार्ग ही श्रेष्ठ प्रतीत होता है।

🎉 समाज में हर्ष और उत्साह का माहौल दीक्षा महोत्सव के अवसर पर जैन समाज में उल्लास और गौरव का वातावरण व्याप्त रहा।

📸 मुमुक्षु के स्वागत में बना अद्भुत दृश्य संयम वस्त्रों में जब दीक्षित साध्वियाँ पांडाल में लौटीं, तो देखने वालों का उत्साह चरम पर था।

🌟 युवाओं के लिए प्रेरणा बनी दीक्षा इस अवसर ने युवाओं के मन में भी संयम जीवन के प्रति जिज्ञासा और प्रेरणा जगाई।

बाड़मेर की दो बेटियों का संयम मार्ग पर चलने का निर्णय न केवल उनके परिवार और समाज के लिए गर्व की बात है, बल्कि यह पूरे जैन समाज के लिए आध्यात्मिक प्रेरणा का स्त्रोत बना। संयम, त्याग और आत्मकल्याण की भावना से ओत-प्रोत यह दीक्षा महोत्सव लंबे समय तक श्रद्धालुओं के मन में जीवित रहेगा।

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