
भीलवाड़ा – जैन कनेक्ट संवाददाता | राजस्थान के भीलवाड़ा स्थित श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर, शास्त्रीनगर ने आध्यात्मिकता और कलात्मक भव्यता का अनूठा संगम प्रस्तुत किया है। यहां प्रदेश का पहला ऐसा आभामंडल स्थापित किया गया है, जिसमें 22 किलो चांदी, 10 ग्राम सोना और सागवान की लकड़ी का उपयोग किया गया है। जयपुर के कुशल कारीगरों द्वारा 208 स्क्वायर फीट में बनी इस कलाकृति को मंदिर की शोभा बढ़ाने में 5 महीने लगे। मुनि समत्वसागर महाराज की प्रेरणा से आरंभ हुई यह परियोजना अब समाज में श्रद्धा और गर्व का विषय बन चुकी है।
🔸 🪙 22 किलो चांदी व 10 ग्राम सोने से सुसज्जित आभामंडल शास्त्रीनगर जैन मंदिर में स्थापित इस भव्य आभामंडल में बहुमूल्य धातुओं का समावेश किया गया है।
🔸 🪵 सागवान की लकड़ी पर निर्मित कलाकृति करीब 5 लाख की लागत से लाई गई सागवान की लकड़ी पर यह आभामंडल बेहद सुंदरता से तराशा गया।
🔸 🎨 जयपुर के कारीगरों की उत्कृष्ट नक्काशी जयपुर से आए कलाकारों ने चांदी पर सोने की बारीक नक्काशी कर इसे जीवन्त रूप दिया।
🔸 🕰️ 5 महीनों की मेहनत, 14 घंटे में स्थापना पांच महीने की कड़ी मेहनत के बाद यह आभामंडल मात्र 14 घंटों में मंदिर में स्थापित किया गया।
🔸 🌙 आभामंडल पर माता त्रिशला के 16 स्वप्न इस भव्य रचना में माता त्रिशला द्वारा देखे गए 16 मंगल स्वप्न भी दर्शाए गए हैं, जो श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रहे हैं।
🔸 🤝 समाजजनों के सामूहिक सहयोग से संभव हुआ कार्य स्थानीय समाजजनों ने स्वेच्छा से आर्थिक योगदान देकर इस ऐतिहासिक कार्य को साकार किया।
🔸 📍 राजस्थान में दूसरा सबसे बड़ा आभामंडल यह आभामंडल कुंडलपुर (दमोह) के बाद राजस्थान में सबसे बड़ा माना जा रहा है।
🔸 🪷 मुनि समत्वसागर महाराज की प्रेरणा से हुआ निर्णय गत वर्ष 15 मई को हुई धर्मसभा में आभामंडल स्थापना का संकल्प लिया गया था।
🔸 💰 30 लाख रुपए की कुल लागत
इस भव्य प्रकल्प पर कुल 30 लाख रुपए का व्यय हुआ, जो पूर्णतः समाज सहयोग से संचित हुआ।
🔸 📸 श्रद्धालुओं में दर्शन हेतु उत्साह
स्थानीय व आसपास के क्षेत्रों से श्रद्धालु बड़ी संख्या में मंदिर पहुंचकर आभामंडल के दर्शन कर रहे हैं।
शास्त्रीनगर का यह आभामंडल न केवल कला व भक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह समाज की एकता, श्रद्धा और सांस्कृतिक गौरव को भी दर्शाता है। मुनि समत्वसागर महाराज की प्रेरणा से प्रारंभ हुआ यह प्रयास आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणास्त्रोत रहेगा।
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