
मुंबई-जैन कनेक्ट संवाददाता | मुंबई के विले पारले (पूर्व) में स्थित एक ऐतिहासिक जैन मंदिर को बंबई हाईकोर्ट से अंतरिम राहत मिली है। बुधवार को उच्च न्यायालय ने मंदिर के खिलाफ किसी भी नई कार्रवाई पर रोक लगाते हुए यथास्थिति बनाए रखने का आदेश जारी किया। यह आदेश श्री 1008 दिगंबर जैन मंदिर ट्रस्ट द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया। मंदिर को हाल ही में BMC द्वारा अवैध निर्माण घोषित कर आंशिक रूप से तोड़ा गया था, जिससे श्रद्धालुओं और समुदाय में भारी रोष व्याप्त है।
🔸 ⚖️ मंदिर को कोर्ट से मिली अस्थायी राहत बंबई हाईकोर्ट ने मंदिर स्थल की यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश देते हुए BMC को आगे कोई भी कार्रवाई करने से रोका।
🔸 🏛️ 1962 से श्रद्धा का केंद्र विले पारले का यह मंदिर 1962 में स्थापित हुआ था और जैन समाज के लिए धार्मिक आस्था का प्रतीक रहा है।
🔸 📄 BMC ने बताया अवैध निर्माण नगर निगम का दावा है कि मंदिर की संरचना 2,200 वर्गफुट में है और यह विकास योजना के अनुसार अवैध है।
🔸 🚧 15 अप्रैल को हुई आंशिक तोड़फोड़ सिविल कोर्ट की अंतरिम रोक समाप्त होते ही BMC ने मंदिर का हिस्सा तोड़ना शुरू कर दिया।
🔸 📆 सात दिन की सुरक्षा अवधि निचली अदालत ने ट्रस्ट को हाईकोर्ट में अपील करने के लिए सात दिन की मोहलत दी थी, जो 15 अप्रैल को खत्म हो गई।
🔸 📝 हाईकोर्ट में ट्रस्ट की अपील मंदिर ट्रस्ट ने BMC की कार्रवाई को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की।
🔸 🙏 धार्मिक भावनाओं से जुड़ा स्थल ट्रस्ट का कहना है कि यह मंदिर समुदाय की धार्मिक आस्था और संस्कृति का गहरा हिस्सा है।
🔸 🌳 BMC का पक्ष – सार्वजनिक भूमि पर कब्जा BMC के अनुसार, मंदिर जिस ज़मीन पर बना है वह ‘रिक्रिएशन ग्राउंड’ के लिए आरक्षित है।
🔸 🔍 तोड़फोड़ पर मचा विवाद मंदिर के विरुद्ध हुई तोड़फोड़ ने समाज में असंतोष और कानूनी बहस को जन्म दिया है।
🔸 📅 अगली सुनवाई में होगा निर्णय स्पष्ट हाईकोर्ट की आगामी सुनवाई में मंदिर की वैधता और भविष्य की स्थिति पर अंतिम निर्णय संभव है।
विले पारले स्थित जैन मंदिर को मिली यह कानूनी राहत न केवल धार्मिक भावनाओं की सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह प्रशासन और आस्था के बीच संतुलन बनाए रखने का भी प्रतीक है। मामले की अंतिम सुनवाई आने वाले समय में मंदिर के भविष्य को निर्धारित करेगी।
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