अक्षय तृतीया पर मेरठ में जैन समाज की सेवा भावना

मेरठ–जैन कनेक्ट संवाददाता | अक्षय तृतीया का पावन पर्व बुधवार को मेरठ में जैन समाज द्वारा उत्साहपूर्वक और सेवा भाव से मनाया गया। विभिन्न जैन मंदिरों में विधिविधान से पूजा, अभिषेक और शांति धारा की गई, वहीं जगह-जगह इक्षु रस (गन्ने का रस) वितरण कर जनसेवा का उदाहरण प्रस्तुत किया गया। यह आयोजन भगवान ऋषभदेव (आदिनाथ) के प्रथम आहार की स्मृति में किया गया, जिससे धर्म, तप और दान की भावना समाज में जागृत हो सके।

🍹 इक्षु रस वितरण से सेवा भाव मेरठ के विभिन्न स्थलों पर जैन समाज ने इक्षु रस वितरण कर राहगीरों को तपती गर्मी में राहत पहुंचाई।

🛕 अभिषेक और शांतिधारा शांतिनाथ दिगंबर जैन पंचायती मंदिर सहित कई मंदिरों में भगवान का अभिषेक और शांतिधारा श्रद्धा भाव से कराई गई।

📿 भगवान ऋषभदेव की आहार स्मृति यह आयोजन भगवान आदिनाथ के प्रथम आहार ग्रहण की स्मृति में किया गया, जब उन्होंने राजा श्रेयांस से इक्षु रस प्राप्त किया था।

🧘 भक्तांबर विधान और अर्घ्य अर्पण श्रद्धालुओं ने भक्तांबर विधान में भक्ति भाव से भाग लिया और मांडले पर 48 अर्घ्य समर्पित किए।

🏅 सौधर्म इंद्र की उपलब्धि नवीन जैन को सौधर्म इंद्र की भूमिका निभाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, जो समाज में प्रतिष्ठा का विषय बना।

🌿 प्रकृति और जीवदया पर बल इस अवसर पर जल सेवा, पक्षियों के लिए दाना-पानी और जीवदया जैसे कार्यों का आयोजन कर पर्यावरण और जीवन के संरक्षण का संदेश दिया गया।

🧬 स्वास्थ्यवर्धक इक्षु रस राकेश जैन ने बताया कि गन्ने का रस गर्मी में न केवल शरीर को ठंडक देता है, बल्कि ऊर्जा का भी प्राकृतिक स्रोत है।

👨‍👩‍👧‍👦 समूहिक सहभागिता निशा जैन, प्रतीक जैन, सोनिया जैन, हेमचंद जैन सहित अनेक समाजसेवियों ने आयोजन में सक्रिय भूमिका निभाई।

🌇 थापर नगर मंदिर में भी आयोजन थापर नगर स्थित दिगंबर जैन मंदिर में भी पूजा, अभिषेक और इक्षु रस वितरण कर अक्षय तृतीया पर्व मनाया गया।

🎙️ प्रवक्ता और पदाधिकारियों की भागीदारी सुनील जैन, अंकुर जैन, संयम जैन, दिशु जैन आदि ने कार्यक्रम की व्यवस्थाओं में सहयोग कर सेवा कार्य को सफल बनाया।

यह आयोजन न केवल जैन धर्म की परंपरा और भगवान आदिनाथ की आहार कथा की स्मृति दिलाता है, बल्कि यह समाज में दान, तप और जीवदया जैसे मूल्यों को भी सशक्त करता है। तपते मौसम में शीतलता और धर्म का संदेश देने वाला यह आयोजन श्रद्धा, सेवा और संयम का प्रतीक बन गया।

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