जैन संतों पर हमला, मंदिर तोड़फोड़ और पहलगाम हमले के विरोध में मौन मोर्चा

चोपड़ा-जैन कनेक्ट संवाददाता | चोपड़ा शहर में आज जैन और हिंदू समाज ने एकजुट होकर शांति और विरोध का संदेश देने के लिए भव्य मौन मोर्चा निकाला। यह मोर्चा तीन गंभीर घटनाओं के विरोध में आयोजित किया गया-मुंबई के विलेपार्ले में जैन मंदिर की तोड़फोड़, कश्मीर के पहलगाम में हिंदू पर्यटकों पर आतंकी हमला और जैन संतों पर हाल ही में हुए हमले के खिलाफ। गोल मंदिर से प्रारंभ होकर यह मोर्चा तहसील कार्यालय तक पहुंचा, जहां समाज प्रतिनिधियों ने प्रशासन को निवेदन सौंपा।

📿 जैन संतों पर हमले के विरोध में एकजुटता हाल ही में देश के अलग-अलग हिस्सों में जैन संतों पर हुए हमलों ने समाज में आक्रोश पैदा कर दिया, जिसे लेकर यह मौन मोर्चा निकाला गया।

🏛️ मुंबई के मंदिर पर तोड़फोड़ का विरोध विलेपार्ले स्थित 90 वर्षीय जैन मंदिर की बीएमसी द्वारा की गई तोड़फोड़ को लेकर मोर्चे में गहरा रोष व्यक्त किया गया।

🛕 धार्मिक स्थलों की रक्षा की मांग समाज ने मांग की कि सभी धार्मिक स्थलों को सरकारी संरक्षण मिले और बिना पूर्व सूचना कोई कार्रवाई न की जाए।

🕉️ हिंदू-जैन समाज की एकजुटता इस मोर्चे में दोनों समाजों ने कंधे से कंधा मिलाकर भाग लिया, जिससे सामूहिक एकता का अद्भुत उदाहरण सामने आया।

🔫 पहलगाम गोलीकांड की निंदा कश्मीर के पहलगाम में हिंदू श्रद्धालुओं पर किए गए आतंकी हमले की तीव्र निंदा की गई और दोषियों को कड़ी सजा देने की मांग की गई।

📜 प्रशासन को सौंपा गया ज्ञापन तहसील कार्यालय में समाज के प्रतिनिधियों ने प्रशासन को ज्ञापन सौंपते हुए तत्काल कार्रवाई की मांग की।

📢 शांतिपूर्ण प्रदर्शन का संदेश पूरा मोर्चा अनुशासित, शांतिपूर्ण और गरिमापूर्ण रहा, जिससे समाज ने संवाद और अहिंसा का उदाहरण प्रस्तुत किया।

🧘 महिलाओं और युवाओं की सक्रिय भागीदारी इस मौन मोर्चे में बड़ी संख्या में महिलाएं और युवा भी शामिल हुए, जो समाज की जागरूकता को दर्शाता है।

🎙️ प्रमुख सामाजिक नेताओं की उपस्थिति मोर्चे में स्थानीय जैन संघटन, संतों के अनुयायी और हिंदू संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

🛑 अत्याचारों पर सख्त कानून की मांग समाज ने सरकार से मांग की कि धार्मिक समुदायों पर हो रहे अत्याचारों को रोकने हेतु सख्त कानून बनाए जाएं।

इस भव्य और अनुशासित मौन मोर्चे ने स्पष्ट संदेश दिया कि जैन और हिंदू समाज अब ऐसे घटनाओं को लेकर चुप नहीं रहेगा। शांति और अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए भी, जब बात आत्म-सम्मान और आस्था की हो, तो समाज संगठित होकर अपने अधिकारों की रक्षा के लिए खड़ा हो सकता है।

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*