
मुंबई-जैन कनेक्ट संवाददाता | विले पार्ले (पूर्व) स्थित नेमिनाथ को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी में 90 वर्ष पुराने दिगंबर जैन मंदिर को 16 अप्रैल को बीएमसी द्वारा अचानक तोड़ दिए जाने की घटना पर राज्य अल्पसंख्यक आयोग ने मंगलवार को सख्त नाराजगी जताई।
🔹 🛕 90 साल पुराने मंदिर पर कार्रवाई मुंबई के विले पार्ले स्थित ऐतिहासिक जैन मंदिर को बीएमसी ने अचानक गिरा दिया, जिससे समाज में असंतोष फैल गया।
🔹 🕵️ आयोग की स्थल जांच मंगलवार शाम को अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष चेतन देधिया ने स्थल पर जाकर निरीक्षण किया और बीएमसी की जल्दबाज़ी पर प्रश्नचिह्न लगाए।
🔹 📹 सीसीटीवी फुटेज से पुष्टि की तैयारी आयोग के अनुसार बीएमसी की टीम सुबह 10 बजे पहुंची और 10:15 पर तोड़फोड़ शुरू कर दी। सीसीटीवी से समय की पुष्टि की जा रही है।
🔹 🚫 सार्वजनिक स्थान न होने पर भी कार्रवाई आयोग के अध्यक्ष प्यारे खान ने सवाल उठाया कि मंदिर सोसायटी के अंदर था, किसी सार्वजनिक निर्माण कार्य में बाधा नहीं था, फिर इतनी हड़बड़ी क्यों?
🔹 🧾 पुलिस सुरक्षा की पूर्व मांग बीएमसी ने 4 अप्रैल को ही पुलिस सुरक्षा की मांग की थी, जबकि उस समय कोर्ट का स्टे ऑर्डर लागू था।
🔹 📢 समाज का शांतिपूर्ण विरोध 19 अप्रैल को जैन समाज ने सड़कों पर उतरकर शांतिपूर्ण मौन रैली के माध्यम से विरोध दर्ज कराया।
🔹 🧑⚖️ दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी अनिल शाह ने बीएमसी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
🔹 📋 जमीन पर कानूनी विवाद कायम अधिकारियों के अनुसार मंदिर वाली जमीन ‘रिक्रिएशनल ग्राउंड’ के रूप में दर्ज है, जिस पर अभी विवाद जारी है।
🔹 🛠️ पुनर्निर्माण पर अंतिम निर्णय अदालत से महावीर मिशन ट्रस्ट के अध्यक्ष मुनि निलेश चंद्र के नेतृत्व में पुनर्निर्माण की मांग की गई, लेकिन आयोग ने स्पष्ट किया कि इसका निर्णय बॉम्बे हाईकोर्ट ही करेगा।
इस पूरे मामले ने एक बार फिर यह प्रश्न खड़ा कर दिया है कि धार्मिक स्थलों को लेकर प्रशासनिक संवेदनशीलता कितनी आवश्यक है। जैन समाज अब न्यायालय की ओर देख रहा है कि उन्हें न्याय मिले और धार्मिक आस्था की पुनर्स्थापना हो।
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