
मुंबई-जैन कनेक्ट संवाददाता | मुंबई के विले पार्ले स्थित एक जैन मंदिर को लेकर बीएमसी (बृहन्मुंबई महानगरपालिका) की ओर से की जा रही तोड़फोड़ कार्रवाई ने धार्मिक और राजनीतिक हलकों में गहमागहमी पैदा कर दी है। बीएमसी की आंतरिक रिपोर्ट के अनुसार, नवंबर 2020 से अब तक इस मंदिर को तोड़ने के नौ प्रयास असफल रहे हैं। अंततः 16 अप्रैल 2025 को 10वीं बार यह कार्रवाई शुरू की गई, लेकिन हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के चलते इसे रोकना पड़ा।
🔁 नौ बार असफल रहे बीएमसी के प्रयास बीएमसी की रिपोर्ट के अनुसार, मंदिर को तोड़ने के लिए 11 नवंबर 2020 से लेकर 6 फरवरी 2025 तक नौ बार कोशिश की गई, लेकिन हर बार भारी विरोध और सुरक्षा कारणों से कार्रवाई टल गई।
🚧 आखिरकार 16 अप्रैल को शुरू हुई कार्रवाई K-East वार्ड की टीम ने 16 अप्रैल को सुबह 10:15 बजे तोड़फोड़ शुरू की, लेकिन सवा घंटे बाद ही इसे रोकना पड़ा।
⚖️ हाईकोर्ट ने दिया यथास्थिति बनाए रखने का आदेश सुबह 11:45 बजे हाईकोर्ट के सहायक विधि अधिकारी ने यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश जारी किया, जिससे बीएमसी को अपनी टीम वापस बुलानी पड़ी।
📜 मूर्ति विस्थापन की प्रक्रिया हुई दर्ज रिपोर्ट में बताया गया कि मूर्तियों को स्थानांतरित करने की प्रक्रिया कानूनी तरीके से की गई और इसे पुलिस डायरी में दर्ज किया गया।
📄 पंचनामा तैयार, कोर्ट में होगा प्रस्तुत पूरी कार्रवाई का पंचनामा तैयार किया गया है, जिसे अब अदालत में पेश किया जाएगा।
👮 पहले पर्याप्त पुलिस बल नहीं मिलने से रुकती थी कार्रवाई बीएमसी अधिकारी के अनुसार, पहले कार्रवाई टलने का एक मुख्य कारण पर्याप्त पुलिस सुरक्षा न मिल पाना था।
🏘️ निजी आरजी भूखंड पर स्थित है मंदिर बीएमसी ने स्पष्ट किया कि यह मंदिर एक निजी आरजी प्लॉट पर स्थित है और नियमितीकरण की याचिका पहले ही कोर्ट द्वारा खारिज की जा चुकी है।
🏛️ कोर्ट ने उचित प्रक्रिया के तहत कार्रवाई का दिया निर्देश कोर्ट ने बीएमसी को निर्देश दिया था कि वह कानूनी प्रक्रिया के तहत आवश्यक कार्रवाई करे, जिससे यह तोड़फोड़ शुरू की गई।
घटना ने जहां बीएमसी की कार्यप्रणाली और कोर्ट के आदेशों के अनुपालन पर सवाल खड़े किए, वहीं यह प्रकरण धार्मिक आस्था और राजनीतिक बयानबाजी के बीच संघर्ष का प्रतीक बन गया है। हाईकोर्ट के आदेश ने फिलहाल तो कार्रवाई पर विराम लगा दिया है, लेकिन आने वाले समय में यह मुद्दा और तूल पकड़ सकता है।
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