
मुंबई-जैन कनेक्ट संवाददाता | बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) द्वारा मुंबई के विले पार्ले (पूर्व) क्षेत्र में स्थित एक ऐतिहासिक जैन मंदिर को ध्वस्त करने की कार्रवाई के बाद देशभर के जैन समुदाय में जबरदस्त आक्रोश देखने को मिल रहा है। 90 साल पुराने इस मंदिर को लेकर बीएमसी और मंदिर प्रशासन के बीच विवाद अब कानूनी और सामाजिक दोनों ही स्तरों पर उग्र होता जा रहा है। मंदिर प्रशासन का आरोप है कि मौखिक स्थगन आदेश के बावजूद बीएमसी ने मंदिर गिरा दिया, जबकि बीएमसी का दावा है कि उन्होंने विध्वंस से पहले पर्याप्त नोटिस दिए थे।
🛕 प्राचीन धरोहर का विध्वंस – विले पार्ले (ई) स्थित 90 वर्ष पुराना जैन चैत्यालय बीएमसी की कार्रवाई का शिकार बना।
⚖️ कानूनी संघर्ष का सिलसिला – मंदिर समिति ने मनोरंजन क्षेत्र में स्थित मंदिर को बचाने के लिए सिविल कोर्ट में याचिका दायर की थी।
🧾 नोटिस पर विवाद – बीएमसी ने कहा कि विध्वंस से पहले पर्याप्त नोटिस दिए गए, लेकिन समिति इसे झूठा करार दे रही है।
📢 मौखिक स्थगन का उल्लंघन – कोर्ट ने 8 अप्रैल को याचिका खारिज की, पर उच्च न्यायालय में अपील के लिए मौखिक स्थगन दिया गया था।
🚧 पुलिस की भारी तैनाती – जैन समुदाय के विरोध के बावजूद भारी पुलिस बंदोबस्त के कारण विध्वंस नहीं रोका जा सका।
😠 श्रद्धालुओं में नाराजगी – मंदिर में पूजा कर रहे श्रद्धालुओं को जबरन बाहर निकाला गया, जिससे धार्मिक भावनाएं आहत हुईं।
🛐 मूर्तियों का अपमान – मंदिर प्रशासन ने आरोप लगाया कि अधिकारी मूर्तियों पर चढ़ गए और धार्मिक साहित्य को सड़क पर फेंक दिया।
📣 देशभर में विरोध की लहर – इस घटना के बाद देश के विभिन्न हिस्सों में जैन समुदाय ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं।
👨⚖️ उच्च न्यायालय में अपील की तैयारी – मंदिर समिति ने अब मुंबई उच्च न्यायालय में अपील दायर करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
🤝 समाधान की मांग – जैन समुदाय ने सरकार से संवेदनशीलता दिखाते हुए तत्काल जांच और समाधान की मांग की है।
इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना ने न सिर्फ जैन समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है, बल्कि प्रशासनिक संवेदनशीलता और कानूनी प्रक्रिया के पालन को लेकर भी गंभीर प्रश्न खड़े किए हैं। आने वाले समय में यह मुद्दा और गहराने की संभावना है।
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