काशी को मांस-मदिरा से मुक्त किया जाए : जैन समाज की शासन से मांग

वाराणसी-जैन कनेक्ट संवाददाता | भगवान महावीर स्वामी के जन्म कल्याणक की पूर्व संध्या पर वाराणसी में जैन समाज ने एक महत्त्वपूर्ण अपील करते हुए काशी को मांस और मदिरा से मुक्त करने की मांग की है। दिगंबर जैन महासमिति के प्रतिनिधियों ने शासन-प्रशासन को एक दस सूत्री मांगपत्र सौंपा जिसमें काशी के धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व को ध्यान में रखते हुए जैन तीर्थ स्थलों के समुचित विकास की मांग की गई है।

🙏 काशी को मिले आध्यात्मिक पहचान – जैन समाज ने काशी को “जैन तीर्थंकरों की नगरी” बताते हुए अयोध्या की तर्ज पर मांस-मदिरा मुक्त घोषित करने की अपील की।

🏛️ तीर्थंकरों की जन्मस्थली का विकास – भगवान पार्श्वनाथ, सुपार्श्वनाथ, चंद्रप्रभु और श्रेयांसनाथ की जन्मस्थलियों का वैभवशाली विकास करने की मांग की गई।

🚪 भव्य द्वार की स्थापना – भेलूपुर में भगवान पार्श्वनाथ की स्मृति में भव्य द्वार निर्माण की मांग। साथ ही, भेलूपुर मार्ग का नाम “भगवान पार्श्वनाथ पथ” रखने का प्रस्ताव।

🛕 भदैनी गली और मंदिरों का जीर्णोद्धार – भगवान सुपार्श्वनाथ की जन्मस्थली तक जाने वाली भदैनी गली की मरम्मत और क्षेत्र का सौंदर्यीकरण।

🔸 📍 डिजिटल सूचना बोर्ड की स्थापना – कैंट रेलवे स्टेशन पर जैन तीर्थों की जानकारी देने हेतु डिजिटल बोर्ड लगाने की अपील।

📷 पर्यटन से जोड़ा जाए तीर्थ स्थल – चारों तीर्थंकरों की जन्मस्थलियों को पर्यटन विभाग की योजना से जोड़ने का आग्रह।

🌿 सारनाथ में जैन धरोहर को सम्मान – भगवान श्रेयांसनाथ की स्मृति में सारनाथ में भव्य द्वार और जैन घाट का विकास।

🧘‍♂️ भगवान महावीर मंदिर का विस्तार – नरिया स्थित भगवान महावीर मंदिर के पूर्ण विकास की योजना।

जैन समाज ने स्पष्ट किया कि जिस तरह अयोध्या को उसकी धार्मिक आस्था के अनुरूप मांस-मदिरा से मुक्त किया गया है, वैसा ही सम्मान काशी को भी मिलना चाहिए। काशी, जहां चार तीर्थंकरों का जन्म हुआ, वह केवल आध्यात्मिक नहीं बल्कि सांस्कृतिक धरोहर भी है। शासन से की गई यह मांग आने वाले समय में काशी के धार्मिक स्वरूप को और अधिक पवित्र व आकर्षक बना सकती है।

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