तीन साल की बच्ची ने लिया संथारा: विश्व की सबसे कम उम्र की त्यागी बनी वियाना !

इंदौर–जैन कनेक्ट संवाददाता | इंदौर शहर में महज 3 वर्ष, 4 माह और 1 दिन की बच्ची वियाना जैन ने ब्रेन ट्यूमर जैसी असाध्य बीमारी से जूझते हुए जैन धर्म के सर्वोच्च व्रत “संथारा” को धारण किया। आध्यात्मिक संकल्प के साथ यह प्रक्रिया पूरी करने के कुछ ही मिनटों बाद उसका निधन हो गया। वियाना अब तक की सबसे कम उम्र की संथारा लेने वाली बालिका बन गई है, और इस ऐतिहासिक त्याग को ‘गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ में स्थान मिला है।

🔹 तीन साल की उम्र में संथारा इंदौर की रहने वाली वियाना जैन ने मात्र तीन वर्ष की उम्र में संथारा लिया, जो जैन धर्म में मृत्यु को आत्मिक शुद्धि से अपनाने की धार्मिक प्रक्रिया मानी जाती है।

🧠 ब्रेन ट्यूमर से थी पीड़ित जनवरी 2025 में वियाना को ब्रेन ट्यूमर हुआ था। इलाज के बाद कुछ सुधार हुआ, लेकिन मार्च में स्थिति बिगड़ गई और परिवार ने उसे मुंबई में इलाज के लिए भर्ती कराया।

🙏 जैन मुनि के सुझाव पर लिया संथारा परिवार ने आध्यात्मिक संकल्प अभिग्रह-धारी राजेश मुनि महाराज के मार्गदर्शन में संथारा की प्रक्रिया पूरी की। मुनिश्री पूर्व में 107 संथारों का संचालन कर चुके हैं।

🕯️ संथारा के 10 मिनट बाद निधन 21 मार्च को संथारा की आधे घंटे की प्रक्रिया पूरी होने के केवल 10 मिनट बाद ही वियाना ने अंतिम सांस ली, जिससे समाज में भावनात्मक लहर दौड़ गई।

💻 आईटी प्रोफेशनल माता-पिता वियाना के माता-पिता पीयूष और वर्षा जैन दोनों ही आईटी प्रोफेशनल हैं। उन्होंने बेटी के इस निर्णय को पूर्ण श्रद्धा और आध्यात्मिक समर्पण के साथ स्वीकारा।

📜 ‘गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ में नाम दर्ज इतनी कम उम्र में संथारा लेने के चलते वियाना का नाम विश्व रिकॉर्ड में दर्ज हुआ, जिसे हाल ही में आयोजित समारोह में औपचारिक रूप से घोषित किया गया।

🏅 माता-पिता का सार्वजनिक सम्मान इंदौर के कीमती गार्डन में हुए एक गरिमामय समारोह में जैन समाज ने वियाना के माता-पिता को आध्यात्मिक साहस और श्रद्धा के लिए सम्मानित किया।

🕊️ संस्कारों से समृद्ध बचपन वियाना को प्रारंभ से ही धार्मिक संस्कार दिए गए थे जैसे कि गोशाला जाना, पक्षियों को दाना डालना, पचखाण करना और गुरुदेव के दर्शन करना।

📿 जैन धर्म में आस्था से भरा परिवार परिवार पूरी तरह से जैन धर्म के सिद्धांतों में आस्था रखता है। मुनिश्री के अनुयायी होने के कारण यह निर्णय उन्होंने बिना किसी सामाजिक दबाव के लिया।

🌟 समाज के लिए बनी प्रेरणा वियाना की यह आध्यात्मिक यात्रा आज जैन समाज के साथ-साथ पूरे भारत के लिए आत्मिक चेतना और श्रद्धा का प्रतीक बन गई है।

वियाना का जीवन अल्पकालिक था, पर उसकी संथारा यात्रा ने एक गहन अध्यात्मिक संदेश दिया है। यह घटना केवल एक धार्मिक परंपरा का निर्वहन नहीं, बल्कि विश्वास, त्याग और संकल्प की पराकाष्ठा का उदाहरण बन चुकी है।

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