सुगंध दशमी : आत्मशुद्धि और त्याग का जैन पर्व !

मुंबई-जैन कनेक्ट संवाददाता | जैन धर्म का पवित्र पर्व सुगंध दशमी हर वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह पर्व जैन समुदाय के लिए आत्मशुद्धि, तपस्या और सद्कर्मों की आध्यात्मिक सुगंध फैलाने का प्रतीक है। इस वर्ष यह पर्व 02 सितंबर 2025, मंगलवार को पूरे उल्लास के साथ मनाया जाएगा।

🔹 नीचे सुगंध दशमी के महत्व और परंपराओं से जुड़ी 10 खास बातें प्रस्तुत हैं:

🌸 सुगंध दशमी का अर्थ – ‘सुगंध’ का तात्पर्य सद्कर्मों की आध्यात्मिक महक से है, जबकि ‘धूप’ कर्मों के नाश का प्रतीक है।

🙏 आत्मशुद्धि का पर्व – यह दिन आत्मा पर चढ़े कर्मों के मैल को दूर करने और साधना के माध्यम से शुद्धि प्राप्त करने का प्रतीक है।

🕯️ धूप जलाने की परंपरा – जैन दर्शन के अनुसार इस दिन धूप जलाने से आत्मा पर चढ़े कर्मों का क्षय होता है।

🧘 उपवास और आत्मचिंतन – भक्तजन इस अवसर पर उपवास रखते हैं, इंद्रियों पर नियंत्रण का अभ्यास करते हैं और आत्ममंथन करते हैं।

⚖️ कर्मों की निर्जरा – यह पर्व मुख्य रूप से ‘कर्मों की निर्जरा’ यानी आत्मा से बुरे कर्मों को हटाने पर केंद्रित है।

🎭 झांकियों की परंपरा – सुगंध दशमी पर धार्मिक झांकियों का आयोजन एक पुरानी और विशेष परंपरा है।

📖 धार्मिक कथाओं का प्रदर्शन – झांकियों में जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों के जीवन, त्याग और मोक्ष की घटनाओं को प्रस्तुत किया जाता है।

🤝 सामुदायिक सहयोग – इन झांकियों को बनाने में समाज के विभिन्न समूह एक साथ काम करते हैं, जिससे एकता और सहयोग की भावना मजबूत होती है।

🌿 पर्यावरण संदेश – झांकियों के माध्यम से सामाजिक और पर्यावरणीय संदेश भी समाज तक पहुंचाए जाते हैं।

👧 नई पीढ़ी के लिए शिक्षा – बच्चे और युवा इन झांकियों से अहिंसा, सत्य और त्याग जैसे मूल्यों को आसानी से सीखते हैं।

इस प्रकार, सुगंध दशमी न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि यह समाज में एकता, सदाचार और संस्कृति से जुड़े मूल्यों को आगे बढ़ाने का भी माध्यम है।

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